लचर कानून: साइबर अपराध के बड़े खतरे के बाद भी बहुत कम मामलों में हो रही है सजा, क्यों बच निकलते हैं अपराधी?
साइबर अपराध केवल लोगों की निजता में ही सेंध नहीं लगा रहे हैं, बल्कि इसके कारण लोगों को भारी आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ रहा है। केंद्र सरकार ने संसद में जानकारी दी है कि वर्ष 2018 में देश में साइबर अपराध के 27,248 मामले सामने आए। वर्ष 2019 में इनकी संख्या तेजी के साथ बढ़ी और यह आंकड़ा 44,546 तक जा पहुंचा। इन साइबर अपराध के मामलों में 2018 में 13,569 लोगों को गिरफ्तार किया गया और 495 मामलों में दोष सिद्ध हुआ। वर्ष 2019 में 15212 लोगों को गिरफ्तार किया गया लेकिन केवल 366 मामलों में ही दोष साबित हो पाया। साइबर अपराधों में पकड़े गए कुल व्यक्तियों में 2018 में केवल 601 लोगों को और 2019 में केवल 485 लोगों को सजा हुई।

भाजपा सांसद राकेश सिन्हा के द्वारा बुधवार को पूछे गए एक सवाल के जवाब में केंद्रीय गृहराज्यमंत्री जी. किशनरेड्डी ने बताया कि इन मामलों में कितना आर्थिक नुकसान हुआ है, इसकी समेकित जानकारी नहीं है। लेकिन इनमें साइबर अपराध के विभिन्न प्रकृति के मामले शामिल हैं।
क्यों बच निकलते हैं अपराधी
दिल्ली पुलिस के साइबर क्राइम विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि सच्चाई यह है कि हमारी साइबर तैयारी अभी भी बहुत कमजोर स्थिति में है, जबकि साइबर अपराधी लगातार नई-नई तकनीकों से साइबर फ्रॉड को अंजाम देते हैं। वे लगातार नई तकनीकी का इस्तेमाल करते हैं, जबकि साइबर अपराध की जांच से जुड़े अधिकारियों को उचित प्रशिक्षण नहीं मिल पाता। इसके अलावा उचित कानूनों के अभाव में भी पुलिस अपराधियों पर कार्रवाई नहीं कर पाती।
कम्यूनिटी साइबर पुलिसिंग से आएगी जागरूकता- राकेश सिन्हा
भाजपा के राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा ने कहा कि साइबर फ्रॉड अपरंपरागत अपराध के रूप में बड़ा खतरा बनकर सामने आया है। इसके लिए सरकार तो अपने स्तर पर कई महत्वपूर्ण कदम उठा रही है, लेकिन चूंकि समाज इन खतरों के प्रति बहुत ज्यादा जागरूक नहीं है, इसलिए आज भी भारी मात्रा में लोग साइबर फ्रॉड के शिकार हो रहे हैं। इससे उन्हें भारी आर्थिक नुकसान भी हो रहा है। साइबर मामलों में लोगों की अज्ञानता इसमें सबसे बड़ा कारण बन रही है।
सरकार नए नियम कानून बनाकर और संवेदनशील उत्पादों की खरीद के लिए विश्वसनीय कंपनियों की पहचान कर इस तरह के साइबर फ्रॉड को कम करने की कोशिश कर रही है। नागरिकों और इन उत्पादों को इस्तेमाल करने वाली कंपनियों को भी इसमें सहयोग करना चाहिए।
राकेश सिन्हा ने कहा कि साइबर अपराध से बचने के लिए एक्टिव कम्यूनिटी साइबर पुलिसिंग की आवश्यकता है। समाज में विभिन्न स्तरों पर सेमिनार और कार्यक्रमों के जरिए लोगों को इस तरह के अपराध के बारे में जागरूक किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि कुछ जिम्मेदारी हमें भी अपने लिए समझनी चाहिए। कोई भी इलेक्ट्रॉनिक-मोबाइलट गैजेट खरीदते समय केवल अच्छी कंपनियों के द्वारा निर्मित उत्पाद ही खरीदना चाहिए, जिससे साइबर फ्रॉड का खतरा कम से कम हो सके।
टेलीकॉम एक्सपर्ट ने कहा
टेलिकॉम इक्विपमेंट मैनुफैक्चरिंग एसोसिएशन (TEMA) के शीर्ष पदाधिकारी एनके गोयल ने अमर उजाला को बताया कि केंद्र सरकार के द्वारा बनाए गए नए साइबर कानून इस तरह के फ्रॉड को रोकने में बहुत सहायक होंगे। लेकिन जिस तरह हम अपने घर में ज्यादा सुरक्षित होते हैं और बाहर निकलते ही अनेक खतरे होने की संभावना बनती है, उसी प्रकार इंटरनेट की दुनिया में खुद को सामने रखने से गलत लोग इसका लाभ उठा लेते हैं। साइबर फ्रॉड से बचने के लिए इंटरनेट का इस्तेमाल करते समय अतिरिक्त सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है।
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